Friday 13 December 2019

नागरिकता संशोधन विधेयक 2019

                 🎄 नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 🎄







विरोध के बाद भी, नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019 12 दिसंबर 2019 को लोकसभा से पारित किया गया था। इससे पहले वर्ष 2016 में भी, नागरिकता (संशोधन) विधेयक केंद्र सरकार द्वारा सदन के सामने पेश किया गया था, हालांकि  भारी विरोध के कारण, सरकार ने इसे राज्यसभा में पेश नहीं किया। देश के कई हिस्सों में, खासतौर से पूर्वोत्तर राज्यों में इसका बहुत विरोध है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष राज्य है और धार्मिक आधार पर देश की नागरिकता को परिभाषित करना भारतीय संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन है।



क्या है नागरिकता संशोधन विधेयक :-

नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019 (CAB) 1955 में नागरिकता अधिनियम में संशोधन करने वाला एक विधेयक है , जो की भारत में आये अवैध प्रवासी को भारतीय नागरिकता प्रदान करता है । यह विधेयक अफ़ग़ानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान देशो के गैर मुस्लिम जैसे हिन्दू, सिख, बुद्धिस्टों, जैन, पारसी और  ईसाइयो जो की दिसम्बर 2014 को या उससे पहले से भारत में निवास करते हो ,उन सभी को भारतीय नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान करता है । अर्थात 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले भारत में आकर रहने वाले अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों को अवैध प्रवासी नहीं माना जाएगा।

जबकि नागरिकता अधिनियम, 1955 अवैध प्रवासियों को भारतीय नागरिकता प्राप्त करने से प्रतिबंधित करता है । नागरिकता  अधिनियम 1955 के तहत अवैध प्रवासी उस व्यक्ति को माना जाता है जिसने वैधपासपोर्ट या यात्रा दस्तावेज़ों के बिना भारत में प्रवेश किया हो और जो अपने निर्धारित समय-सीमा से अधिक समय तक भारत में रहता है।

नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019  के लागू हो जाने पर अफ़ग़ानिस्तान, बांग्लादेश और  पाकिस्तान से आने वाले धार्मिक अल्पसंख्यको को दो और अधिनियमों में भी छूट देनी पड़ेगी ।



विदेशी अधिनियम, 1946 जो की भारत में विदेशियों के प्रवेश और प्रस्थान को नियंत्रित करता है तथा पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम, 1920 जो की विदेशियों को अपने साथ पासपोर्ट रखने के लिये बाध्य करता है । इन दोनों अधिनियमों में भी छूट देनी पड़ेगी जिससे कि  अफ़ग़ानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आये धार्मिक अल्पसंख्यको को नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019 का लाभ प्राप्त हो सके

नागरिकता अधिनियम, 1955 उन व्यक्तियों को ही भारतीय नागरिकता प्रदान करता है जो कुछ शर्तो को पूरा करते हो 

👉   जो व्यक्ति आवेदन की तिथि से 12 महीने पहले तक भारत में निवास करता हो तथा 12 महीने से पहले 14 वर्षों में से 11 वर्ष भारत में निवास किया हो  । 

परन्तु नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019 में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी तथा ईसाई प्रवासियों के लिये 11 वर्ष की शर्त को घटाकर 5 वर्ष कर दिया गया है  ।

नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019 के अनुसार नागरिकता प्राप्त करने के बाद ऐसे व्यक्तियों को भारत में उनके प्रवेश की तारीख से भारत का नागरिक माना जाएगा और अवैध प्रवास या नागरिकता के संबंध में उनके खिलाफ सभी कानूनी कार्यवाहियाँ बंद कर दी जाएंगी। जबकि अभी तक उनको अवैध प्रवासी मानकर कानूनी कार्रवाई की जाती थी

नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019 संविधान की छठी अनुसूची में शामिल  राज्यों पर लागू नहीं होगा  । अर्थात नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019 असम, मेघालय, मिज़ोरम और त्रिपुरा के आदिवासी क्षेत्रों पर लागू नहीं होगा  ।


कैसे  नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019 धर्मनिरपेक्षता का उल्लंगन करता है :-

हमारा भारत देश एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है अर्थात यहाँ धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाता है  । यहाँ सभी धर्मों के लोग मिल-जुलकर रहते है  । धर्म के आधार पर भेदभाव करना गैर क़ानूनी है और ऐसा करता पाया जाने पर उसके खिलाप क़ानूनी कार्रवाई की जाती है  


फिर भी नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019 में उल्लेख किया गया है की अफ़ग़ानिस्तान, बांग्लादेश और  पाकिस्तान से आने वाले धार्मिक अल्पसंख्यक हिन्दू, सिख, बुद्धिस्टों, जैन, पारसी और  ईसाइयो जो नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019 की शर्तो को पूरा करता हो को ही भारतीय नागरिकता प्रदान की जाएगी   

अर्थात इन धर्मो के आलावा और धर्मो के लोग जो भारत में अवैध के रूप से रह रहे हो , चाहे वो नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019  की पात्रता को पूरा करता हो को अवैध प्रवासी माना जायेगा , उन्हें भारतीय नागरिकता प्रदान नहीं की जाएगी जबकि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 14 भारतीय तथा विदेशी नागरिकों सभी को समानता की गारंटी देता है